कोई भी तस्वीर इंटरनेट पर एक बार आ जाने के बाद ‘rare photo’ नहीं कही जा सकती. Solvay Conference (सन 1927) की यह तस्वीर भी उपरोक्त सन्दर्भ में दुर्लभ नहीं है. परंतु एक तथ्य ऐसा है जो इस तस्वीर को दुर्लभ से भी दुर्लभ बनाता है.
क्यों है यह तस्वीर इतना विशिष्ट ?
इस तस्वीर की सबसे खास बात यह है कि इसमें जितने भी चेहरे हैं, विज्ञान के क्षेत्र के सर्वोपरि हस्ताक्षर हैं – और वह भी एक ही फ्रेम में ! कोई भी विज्ञान का छात्र इनमे से अधिकांश नामों से भली-भाँती परिचित होगा. यह वो हस्तियाँ हैं जिनके नाम से खुद कोई न कोई विशेष और विख्यात वैज्ञानिक सिद्धांतों का नामांकरण हुआ है. इतना ही नहीं, इस कांफ्रेंस में शिरकत करने वाले 29 में से 17 ऐसे वैज्ञानिक या भौतिकशास्त्री भी थे जिन्हें कांफ्रेंस के पूर्व-पश्चात नोबेल पुरस्कार मिला था.
कोई अतिश्योक्ति नहीं कि सभी ग्रहों का एक सीध में आने की संभावना विज्ञान जगत के ऐसे मूर्द्धन्य हस्तियों के एक साथ ऐसे दिखने की संभावना से कहीं अधिक है.
क्या है ‘सोल्वे कांफ्रेंस’ ?
सोल्वे कांफ्रेंस भौतिक और रसायनशास्त्र के क्षेत्र में होने वाली विज्ञान सभा का सबसे प्रसिद्ध और चर्चित सम्मेलन है जो सामान्यतः प्रत्येक तीन वर्ष के अंतराल पर होता है. पहला सफल सम्मेलन सन 1911 में होने के बाद इस सभा का आयोजन निरंतर होता आया है. अतिथियों और विषय के संदर्भ में इसका पांचवाँ सम्मेलन जो अक्टूबर सन 1927 में हुआ था, सबसे प्रसिद्ध माना जाता है. इस सम्मेलन का विषय ‘इलेक्ट्रान और फोटोन’ था जिसमे आइंस्टीन से लेकर मैडम क्यूरी ने अपनी उपस्थिति दर्ज करायी थी. यह सभा International Institute of Physics and Chemistry, Brussels में संपन्न हुई थी.
आइंस्टीन-बोर और क्वांटम विवाद
क्वांटम सिद्धांत पर आधारित चर्चा से जुड़ा यह सम्मेलन आइंस्टीन और बोर के बीच दिनों से चले आ रहे इसी भौतिक नियम से जुड़े विवाद के लिए भी याद किया जाता है. आइंस्टीन शुरू से ही क्वांटम सिद्धांत (और इसी से जुड़े हाइजेनबर्ग के ‘अनिश्चितता का सिद्धांत’) को नहीं मानते थे जिसे लेकर उनकी यह उक्ति आज भी प्रसिद्ध है – “इश्वर पासे नहीं फेकता” (God does not play dice). इसके प्रत्युत्तर में नील बोर ने कहा था, “आइंस्टीन, आप भगवान को निर्देश न दें” (Einstein, stop telling God what to do). सोलवे कांफ्रेंस में इस विषय पर भी गाढ़ी चर्चा हुई थी. आइंस्टीन-बोर के इस प्रकरण को यहाँ विस्तृत रूप से पढ़ सकते हैं.
तो क्या यह एक संयोग मात्र था ?
विडम्बना यह है कि आइंस्टीन ने ‘संयोग और संभावना’ जैसे विचारों को सदा ख़ारिज किया (जो क्वांटम सिद्धांत का मूल है). उनका मानना था कि ब्रह्माण्ड की घटना ‘संभावनाओं’ को लेकर नहीं घटती अपितु इनका आपस में कोई जुड़ाव या संबंध होता है जो तय है. संयोग देखिये कि इस तस्वीर जैसी पुनरावृति फिर कभी न हो पाई. क्या उन सभी का एक साथ ऐसे आना भी मात्र एक संयोग था ?
Solvay Conference 1927 में उपस्थिति दर्ज कराने वाले वैज्ञानिकों के नाम
दिए गए तस्वीर में पंक्तियों के अनुसार इस सभा में भाग लेने वाले वैज्ञानिकों के नाम निम्न है :