‘राष्ट्रगीत’ या ‘राष्ट्रगान’ में फर्क जानने-बताने के पश्चात् जिस प्रश्न से अधिकांशतः भारतीय शर्मशार होते प्रतीत होतें हैं वह है हमारे राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ का सही उच्चारण व गायन. विद्यालयों तथा कई समारोह में आज भी संभवतः गलत ही गाया जाता रहा है. जितना विवाद टैगोर ने इस गीत को जॉर्ज पंचम के लिए लिखा या राष्ट्र के लिए को लेकर होता आया है, उतनी ही दिलचस्पी इसके त्रुटिरहित उच्चारण-गायन के जागरूकता हेतु होता तो यह सर्वाधिक गलत गाया जाने वाला गीत न होता.
हमारा प्रयास है इसे सही कर आपके समक्ष प्रस्तुत करें. पूर्ण प्रयास रहा है कि इसमें और कोई त्रुटि न हो. आपके विचार तथा सुझाव फिर भी आमंत्रित है.
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जन गण मन – हमारे राष्ट्रगान का संशोधित संस्करण
इसकी बात की पड़ताल करते हुए कि अधिकांश गलतियाँ कहाँ की जाती है, प्रस्तुत है इसका संशोधित संस्करण.
जन
गनगण मन
अधिनायक जय हे
भारत भाग्यबिधाताविधाता
पंजाबसिन्धुसिंध गुजरात मराठा
द्राविड़द्रविड़ उत्कलबंगाबंग
बिंधविंध्य हिमाचल यमुना गंगा
उच्छल जलधितरंगातरंग
तबतव शुभ नामे जागे
तबतव शुभ आशिष माँगे
गाएगाहेतबतव जयगाथा
जनगनगण मंगलदायक जय हे
भारत भाग्य विधाता
जय हे, जय हे, जय हे
जय जय जय जय हे
यह त्रुटियाँ कैसे और कहाँ से आई ?
एक अनुमान के तहत मेरे तर्क निम्न हैं :
१. गण से गन : पहला कि ‘ण’ शब्द का उच्चारण अधिकांश भारतीय ‘न’ ही करते हैं – जैसे ‘वाणी’ को ‘वानी’. दूसरा की कई स्कूल डायरी और जगहों पर जहाँ यह रोमन में लिखा होता है, यह स्पष्ट नहीं हो पाता कि ‘GAN’ को ‘गन’ पढ़ें या ‘गण’.
२. विधाता से बिधाता : जो समस्या ‘ण’ और ‘न’ की है वही समस्या ‘व’ और ‘ब’ की है. जैसे ‘वानर’ को ‘बानर’. बंगाली (जन गण मन की मूल लिपि) में ‘व’ शब्द का वैसे भी लोप है और अधिकांश हिंदी क्षेत्र में ‘व’ को ‘ब’ ही कहा जाता है.
३. सिंध से सिंधु : पंजाब-सिंध-गुजरात-मराठा-द्रविड़-उत्कल-बंग. सर्वप्रथम, यह सभी प्रान्तों के नाम है. इसमें सिंधू जो एक नदी है को सम्मिलित करना तर्कसंगत नहीं. अगर आप विचार करें तो देखेंगे कि भारतीय भूगोल के तहत ही इनके नामों का उल्लेख होता है जो एक एक बाद एक आते हैं (पश्चिम से दक्षिण से पूर्व). यह संभवतः छंदगान से आई हुई त्रुटि है जहाँ गाते समय सिंधु ज्यादा कर्णप्रिय लगता है. चूँकि ‘सिन्धु’ खुद में किसी भौगोलिक वस्तु का नाम है सो लोग यह तय नहीं कर पाते कि गलत है. हालाँकि कुछ समय से इस शब्द को राष्ट्रगान से हटाने की बात की जा रही है क्यूँकी यह प्रान्त अब भारत का हिस्सा नहीं है. परन्तु इस विषय पर चर्चा इस लेख अभिप्राय से भिन्न है.
४. द्रविड़ से द्राविड : निश्चित तौर पर तो नहीं, परन्तु यह भी संभवतः रोमन में लिखी गयी हिंदी शब्द से आई हुई अशुद्धि है. Dravid को ‘द्रविड़’ भी पढ़ सकते हैं और ‘द्राविड़’ भी. हैरानी इस बात से भी है कि इस लेख के लिखे जाने तक Wikipedia पर भी इसे गलत लिखा गया है.
५. बंग से बंगा : गंगा के संग तुकबंदी हेतु ‘बंग’ से ‘बंगा’. लोगों ने बंगाल सुन रखा है, सो ‘बंगा’ को ही ज्यादा निकट समझते होंगे.
६. तरंग से तरंगा : उपरोक्त शब्द की तरह ही तुकबंदी हेतु ‘तरंगा’ कहना.
७. तव से तब : बंगाली भाषा में ‘तोबो’ लिखा-पढ़ा जाना. या ‘तब’ को ‘फिर’ समझते हुए इसका प्रयोग करना.
८. गाहे से गाये : ‘जय गाथा का गाया जाना’. इसलिए गाये को ज्यादा सटीक समझना.
९. मागे से माँगे : आशिष का ‘माँगा’ जाना. इसलिए ‘माँगे’ !
*उच्चल जलधि : जितना मूँह उतने प्रकार के उच्चारण तथा अशुद्धियाँ !
अन्य सम्बंधित जानकारी हेतु ललित जी का लिखा यह लेख पढ़ें.
और अंत में …
ऊपर दिए गए संभावित तर्क के अलावा कई बार शिक्षकों और अभिभावकों की भी गलतियाँ होती है जो बच्चों को इसका सही उच्चारण तथा अर्थ नहीं समझाते. राष्ट्रगान के प्रति सम्मान तथा इसका सही गाया जाना और विद्यार्थियों से लेकर अन्य को इससे अवगत कराना भी आपका-हमारा कर्तव्य है. आप भी लोगों को जागरूक करें.
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Topics Covered : Jan Gan Man and its Correct Pronunciation, National Anthem of India Facts, Hiinfographics