आपने देखा एवं सुना होगा कि रामायण के सारे अध्याय ‘काण्ड’ कहलाते हैं (बालकाण्ड, सुंदरकाण्ड इत्यादि) और महाभारत के ‘पर्व’ (जैसे आदिपर्व, सभापर्व इत्यादि)। इसका कारण निम्न है:
रामायण के अध्याय को काण्ड कहा जाना
दरअसल काण्ड का अर्थ होता है दो गाँठों के बीच का भाग (जैसा समान्यतः ईख और बाँस में दिखता है)। इनका अर्थ तना से भी है जो सीधा होने का परिचायक है। खण्डों में बंटे होने के बाद भी यह एक के बाद एक आते हैं तथा इनका वर्गिकरण सीधा एवं सरल होता है। जैसे एक गाँठ के बाद दूसरा और उनके मध्य में कुछ भाग। आपने ध्यान दिया होगा कि रामायण की कहानी भी लगभग एक सीधी रेखा में ही जाती है तथा इसमें समानांतर कहानियाँ न के बराबर है। किसी भी पात्र की अलग से कोई बड़ी कहानी नहीं है। जो है, महाग्रंथ के मूल कहानी के साथ ही है। जैसे श्रीराम के बाल्यकाल कि कहानी का जहाँ वर्णन है (बलकाण्ड) तो फिर अलग से वैसी कोई बड़ी कहानी नहीं है जिसमे यह बताया गया हो कि उस समय लंका में क्या हो रहा था या फिर बालिका सीता का कोई विस्तृत वर्णन।
महाभारत के अध्याय को पर्व कहा जाना
वहीं पर्व का अर्थ शाखाओं से जुड़ा है। महाभारत की मूल कहानी से इतर कई और भी कहानियाँ जुड़ी और निकली है जो आपस में मिलकर एक कथावृक्ष का निर्माण करती है। सभी मुख्य पात्र की अपनी ही एक पृष्ठभूमि। उस पृष्ठभूमि की भी एक पृष्ठभूमि (जैसे टहनियों से टहनियाँ निकलती है)। जैसे बाल्यकाल में पांडवों कि कहानी है तो उधर श्रीकृष्ण की लीलाओं का भी वर्णन है। इस महाकाव्य का विस्तार इतना बड़ा होते हुए भी महामुनि व्यास इसमे कृष्णलीला पूरी तरह समाहित नहीं कर पाये। इसलिए उन्होने हरिवंश पुराण की रचना की जो महाभारत का ही एक महापर्व माना जाता है। ध्यातव्य है कि भीष्म पर्व में गीता का भी अध्याय भी जुड़ा है जो अपने आप में महाअध्याय है। कई कहानियों का ताना-बाना तथा कई कहानियों का अन्य पुराणों से जुड़ा होने के कारण इसकी संरचना पर्व अर्थात शाखा जैसी है।
इसी कारण रामायण और महाभारत के अध्यायों को क्रमशः काण्ड और पर्व कहा जाता है।
Topics Covered: Ramayana & Mahabharata Facts, Why Chapters of Ramayana & Mahabharata Called Kaand & Parvas?